इस ब्लॉग पोस्ट में आपको हजरत आदम अलैहिस्सलाम के बारे में बताया गया है हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाईशकैसे हुई जब अल्लाह ने जिब्राईल को जमीन पर मिट्टी के लिए भेजा तो किया हुआ
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Allah Tala Ne Adam Ko Mitti Se Kaise Banaya |
Allah Tala Ne Adam Ko Mitti Se Kaise Banaya
अगर आपको हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के बारे
में Allah Tala Ne Adam Ko Mitti Se Kaise Banaya है जानकारी चाहिए तो पूरी पोस्ट जरूर पढ़े
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाईश
अल्लाह तआला ने फ्रमाया बेशक हम ने तुम्हारे असल आदम को मिट्टी से पैदा किया। मजीद इरशाद फरमायाः
याद करो उस वक़्त को जब आप के रब ने फरिश्तों से कहा बेशक मैं एक बशर कीचड़ से बनाने वाला हूं इससे मुराद आदम अलैहिस्सलाम हैं। इस मक़ाम पर बशर से मुराद ऐसा इंसान जो ज़ाहिर चमड़े वाला होगा। उस पर भेड़ों की तरह ऊन नहीं होगी बकरियों की तरह बाल नहीं होंगे, ऊंटों की मकसी (ऊन) की तरह भी ऊन नहीं होगी परिन्दों के परों की तरह पर नहीं होंगे और फलों की तरह उस पर कोई छिलका नहीं होगा।
बेशक हम ने इंसानों को चिपकती हुई मिट्टी से पैदा किया
यहां भी मुराद इंसानों से उनके असल आदम अलैहिस्सलाम ही हैं। बेशक हमने इंसान यानी आदम को स्याह खुश्क मुतगय्यर कीचड़ से पैदा किया। सलसाल उस कीचड़ को कहते हैं जो खुश्क हो जाये खटकाने पर उससे आवाज़ आये स्याह कीचड़ को, हमा कहते हैं। जिसकी खुशबू में तगय्युर आ जाये उसे मस्नून कहते हैं। इंसान यानी आदम को खुश्क बजने वाली ठीकरी की तरह के कीचड़ से पैदा किया। इन आयात से आदम अलैहिस्सलाम की पैदाईश के मुख्तलिफ मराहिल का जिक्र किया गया है कि आपके जिस्मे अतहर के लिये पहले खुश्क मिट्टी को लाया गया फिर उसे गूंध कर कीचड़ बनाया गया फिर चिपकने वाली मिट्टी बनाया गया फिर उसे उसी तरह रहने दिया गया यहां तक कि वह खुश्क हो गई और बजने लगी और उसकी खुश्बू में भी तगय्युर आ गया फिर और ज़्यादा रखने पर ठीकरी की तरह हो गई।
जिस्मे आदम अलैहिस्सलाम के लिये मिट्टी ली गई
जिब्राईल को जमीन पर भेजा गया। आप जब तशरिफ लाये तो ज़मीन से मिट्टी लेने का इरादा किया तो जमीन ने बड़ी आजिज़ी व इंकसारी और गिरया वुज़ारी से अर्ज किया कि मेरी मिट्टी से बनने वाले शख़्सों ने होगी।
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जब अल्लाह तआ़ला ने फरिश्तों को मिट्टी के लिए जमीन पर भेजा
हज़रत जिब्राईल ज़मीन की आजिज़ी को देखकर वापस चले गये और अल्लाह तआला के हुजूर तमाम माजरा ब्यान कर दिया इसी तरह इस्राफील भी आकर वापस चले गये और मिकाईल भी आकर वापस चले गये। इन तमाम के बाद इज़ाईल आये। उनकी खिदमत में भी जमीन ने वही आजिज़ाना गुफ़्तगू की लेकिन आपने कहा कि मैं तेरी बात तस्लीम करूं या अल्लाह तबाला के हुक्म पर अमल करूं? मुझे अल्लाह तआला का हुक्म है इसलिये मुझे तो मिट्टी ज़रूर ही लेकर जाना है, आपने ज़मीन की इंकिसारी की तरफ कोई तवज्जोड नहीं दी बल्कि इरशाद अल्लाह तआला के मुताबिक ज़मीन से मिट्टी लेकर रब तआला के हुजूर हाज़िर हो गये. इसी वजह से अल्लाह तआला ने रूह कब्ज़ करना भी उनके सुपुर्द किया कि ऐसा न हो कि जिब्राईल मिकाईल, इस्राफील में से किसी के ज़िम्मे लगाया तो रूह कब्ज़ करने के लिये जायें तो उसके अक्रबा को रोते हुए पाकर इसी तरह छोड़ कर न आ जायें।
कैसी मिट्टी ली
हज़रत अबू मूसा अशअरी से मरफूअ हदीस मरवी हैः बेशक अल्लाह तआला ने हुक्म दिया कि तमाम ज़मीन से एक मुट्ठी भर मिट्टी ले आओ। उस मिट्टी में हर किस्म के ज़र्रात शामिल किये गये सुर्ख रंग, सफेद रंग, स्याह रंग और उनके दर्मियान रंग वाली मिट्टी ली गई। इसी तरह कुछ मिट्टी नर्म ज़मीन से ली गई और कुछ सख्त जमीन से, ऐसे ही तैय्यब व खुबीस मिट्टी को शामिल किया गया, जितने किस्म के रंगों वाली मिट्टी आपके जिस्म में लगाई गई आपकी औलाद में उतने ही रंग पाये जाते हैं इसी तरह कोई नर्म और कोई सख्त दिल कोई नेक और कोई बुरे बाज़ हज़रात ने ब्यान किया कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की मिट्टी में साठ किस्म के रंग शामिल थे वह तमाम आपकी औलाद में पाये जाते हैं।
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