इस पोस्ट में आपको नमाज़ के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी की नमाज़ कैसे पढ़ते है नमाज़ पढ़ने का तारिक किया ही
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Namaz Ka Tarika In Hindi |
Namaz Ka Tarika In Hindi
नमाज का तरीका हिंदी में
वुज़ू क़िब्ला रू इस तरह खड़े हों कि दोनों पाउं के पन्जों में चार 4 उंगल का फासिला रहे और दोनों हाथ कानों तक ले जाइये कि अंगूठे कान की लौ से छू जाएं और उंग्लियां न मिली हुई हों न खूब खुली बल्कि अपनी हालत पर (NORMAL) रखें और हथेलियां क़िब्ले की तरफ हों नज़र सज्दे की जगह हो ।
अब जो नमाज़ पढ़ना है
उस की निय्यत यानी दिल में उस का पक्का इरादा कीजिये साथ ही ज़बान से भी कह लीजिये कि जियादा अच्छा है (मसलन निय्यत की मैं ने आज की ज़ोह की चार रक्अत फ़र्ज़ नमाज़ की, अगर बा जमाअत पढ़ रहे हैं तो येह भी कह लें पीछे इस इमाम के) अब तक्बीरे तहरीमा यानी Allahu Akbar कहते हुए हाथ नीचे लाइये और नाफ़ के नीचे इस तरह बांधिये कि सीधी हथेली की गद्दी उल्टी हथेली के सिरे पर और बीच की तीन उंग्लियां उल्टी कलाई की पीठ पर और अंगूठा और छुग्लिया (यानी छोटी उंगली) कलाई के अगल बगल
अब इस तरह सना पढ़िये :
सुबहान क अल्लाहुम्मा व बी हम्दी क व तबार कस्मुका व तआला जदू क व ला इलाहा गैरुका
سُبْحَانَكَ اللهُمَّ وَبِحَمْدِكَ وَتَبَارَكَ اسْمُكَوَتَعَالَى جَدُّكَ وَلَا إِلَهَ غَيْرُكَ
फिर तअव्वुज़ पढ़िये :-
आउ़जो बिल्लाही मिनश्शेतानिर्रजीम
اعُوذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَنِ الرَّحِيمِ
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फिर तस्मिया पढ़िये
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
بسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ
फिर मुकम्मल सूरए फ़ातिहा पढ़िये
अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन अर रहमा नि रहीम मालिकि यौमिद्दीन इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन
الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَلَمِينَ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ مٰلِكِ يَوْمِ الدِّينِ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ صِرَاطَ الَّذِينَ الْعَمَتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الصَّالِينٌ
सूरए फातिहा खत्म कर के बाद आहिस्ता से आमीन कहिये। फिर तीन आयात या एक बड़ी आयत जो तीन छोटी आयतों के बराबर हो या कोई सूरत मशलन
सूरए इख़्लास पढ़िये ।
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
कुल हुवल लाहू अहद, अल्लाहुस समद, लम यलिद वलम यूलद, वलम यकूल लहू कुफुवन अहद
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
قُلْ هُوَ اللهُ أَحَدَةً اللَّهُ الصَّمَدُ لَمْ يَلِدُهُ وَلَمْ يُوْلَدُهُ وَلَمْ يَكُنْ
لَهُ كُفُوًا أَحَدٌ
अब الله أكبر कहते हुए रुकूअ में जाइये और घुटनों को इस तरह हाथ से पकड़िये कि हथेलियां घुटनों पर और उंग्लियां अच्छी तरह फैली हुई हों। पीठ बिछी हुई और सर पीठ की सीध में हो ऊंचा नीचा न हो और नज़र क़दमों पर हो। कम अज़ कम तीन बार रुकू की तस्बीह यानी '(सुब्हान रब्बि यल- अज़ीम। سُبْحَانَ رَبِّيَ الْعَظِيمِ) कहिये। फिर तस्मीअ यानी ( समिअल्लाहु लिमन हमिदह سَمِعَ اللَّهُ لِمَن حَمِدَهُ) कहते हुए बिल्कुल सीधे खड़े हो जाइये, इस खड़े होने को क़ौमा कहते हैं। अगर आप मुन्फ़रिद हैं यानी अकेले नमाज़ पढ़ रहे हैं तो इस के बाद कहिये( रब्बना व लकल हम्द رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ )फिर اللَّهُ أَكْبَرِ कहते हुए इस तरह सज्दे में जाइये कि पहले घुटने ज़मीन पर रखिये फिर हाथ फिर दोनों हाथों के बीच में इस तरह सर रखिये कि पहले नाक फिर पेशानी और येह खास खयाल रखिये कि नाक की नोक नहीं बल्कि हड्डी लगे और पेशानी ज़मीन पर जम जाए, नज़र नाक पर रहे, बाजुओं को करवटों से, पेट को रानों से और रानों को पिंडलियों से जुदा रखिये।
(हां अगर सफ़ में हों तो बाजू करवटों से लगाए रखिये) और दोनों पाउं की दसों उंग्लियों का रुख इस तरह क़िब्ले की तरफ़ रहे कि दसों उंग्लियों के पेट (या नी उंग्लियों के तल्वों के उभरे हुए हिस्से) ज़मीन पर लगे रहें।
हथेलियां बिछी रहें और उंग्लियां क़िब्ला रू रहें मगर कलाइयां ज़मीन से लगी हुई मत रखिये। और अब कम अज़ कम तीन बार सज्दे की तस्बीह यानी(सुब्हान रब्बि यल आला سُبْحَانَ رَبِّيَ الْأَعْلَى )पढ़िये फिर सर इस तरह उठाइये कि पहले पेशानी फिर नाक फिर हाथ उठें।
फिर सीधा क़दम खड़ा कर के उस की उंग्लियां क़िब्ला रुख कर दीजिये और उल्टा क़दम बिछा कर उस पर खूब सीधे बैठ जाइये और हथेलियां बिछा कर रानों पर घुटनों के पास रखिये कि दोनों हाथों की उंग्लियां क़िब्ले की जानिब और उंग्लियों के सिरे घुटनों के पास हों। दोनों सज्दों के दरमियान बैठने को जल्सा कहते हैं
फिर कम अज़ कम एक बार सुभानल्लाह कहने की मिक्दार ठहरिये फिर الله أكبر कहते हुए पहले सज्दे ही की तरह दूसरा सज्दा कीजिये। अब इसी तरह पहले सर उठाइये फिर हाथों को घुटनों पर रख कर पन्जों के बल खड़े हो जाइये । उठते वक़्त बिगैर मजबूरी ज़मीन पर हाथ से टेक मत लगाइये। येह आप की एक रक्अत पूरी हुई।
अब दूसरी रक्अत में
( बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम। بِسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِيمِ )
पढ़ कर अल हम्द और सुरह पढ़िये और की तरह रुकूअ और सज्दे कीजिये दूसरे सज्दे से सर उठाने के बा'द सीधा क़दम खड़ा कर के उल्टा क़दम बिछा कर बैठ जाइये दो रक्अत के दूसरे सज्दे के बा'द बैठना कादह कहलाता है अब कादह में
तशहुद पढ़िये
अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबातु अस्सलामु अल-क अय्युहन- नबिय्यु वरमतुल्लाहि व ब-र-कातुह, अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन, अश्हदु अल्ला इला-ह- इल्लल्लाहु व अश्हदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह
जब तशहुद में लफ़्ज़े ला के करीब पहुंचें तो सीधे हाथ की बीच की उंगली और अंगूठे का हल्का बना लीजिये और छुग्लिया (यानी छोटी उंगली) और बिन्सर यानी उस के बराबर वाली उंगली को हथेली से मिला दीजिये और (अश्हदु अल के फौरन बा'द) लफ़्ज़े ला कहते ही कलिमे की उंगली उठाइये मगर इस को इधर उधर मत हिलाइये और लफ़्ज़े इल्ला पर गिरा दीजिये और फ़ौरन सब उंग्लियां सीधी कर लीजिये।
अब अगर दो से ज़ियादा रक्अतें पढ़नी हैं तो الله كبر कहते हुए खड़े हो जाइये। अगर फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ रहे हैं तो तीसरी और चौथी रक्अत के कियाम में بِسْمِ اللهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ और अल हम्द शरीफ पढ़िये, सूरत मिलाने की ज़रूरत नहीं। बाकी अफ्आल इसी तरह बजा लाइये और अगर सुन्नत व नफ़्ल हों तो सूरए फातिहा के बा'द सूरत भी मिलाइये (हां अगर इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ रहे हैं तो किसी भी रक्अत के क़ियाम में किराअत न कीजिये खामोश खड़े रहिये) फिर चार रक्अतें पूरी कर के क़ादए अखीरह में तशहुद के बाद
दुरूदे इब्राहीम पढ़िये :-
अल्लाहुम सल्ली अल्ला मुहम्मदीन व अल्ला आली मुहम्मदीन कमा सल्ल्ल्यता अल्ला इब्राहीमा व अल्ला अल्ली इब्राहीमा इन्नका हमिदुन माजिद, अल्लाहुम्मा बारीक़ अल्ला मुहम्मदीन व अल्ला आली मुहम्मदीन कमा बक्र्त्ता अल्ला इब्राहीमा व अल्ला आली इब्राहीमा इन्नका हमिदुन मजिद
फिर कोई सी दुआए मासूरा पढ़िये, मसलन येह
दुआ पढ़ लीजिये
रब्बना आतिना फ़िद-दुनिया हसअनतौ वाफिल आखिरती हसानतौ वाकिना अजाबन्नार
फिर नमाज़ खत्म करने के लिये पहले दाएं कन्धे की तरफ मुंह कर के कहिये( अस्सलामु अलेकुम व रहमतुल्लाह اَلسَٛلَامُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللَّهِ)
और इसी तरह बाईं तरफ। अब नमाज़ ख़त्म हुई।
