Quran Sharif Gir Jaye To Uske Barabar Tol Kar Anaz Khairat Karna

 क़ुरआन शरीफ़ गिर जाये तो उसके बराबर तोल कर अनाज खैरात करना

Quran Sharif Gir Jaye To Uske Barabar Tol Kar Anaz Khairat Karna
Quran Sharif Gir Jaye To Uske Barabar Tol Kar Anaz Khairat Karna


 क्या कुरान-ए-करीम का गिरना गुनाह है?  

कुरान-ए-करीम अगर हाथ या अलमारी से गिर जाए तो कुछ लोग इसे तोलकर उसके वजन के बराबर आटा, चावल वगैरह खैरात करते हैं और इसे कफ्फारा समझते हैं।यह उनकी गलतफहमी है। 


जानबूझकर गिराने का गुनाह  

कुरान-ए-करीम को जानबूझकर गिराना या फेंक देना बहुत बड़ा गुनाह है।  

इस्लामिक नज़रिए से  

  - ऐसा करना तौहीन और तहकीर है।  

  - जो जानबूझकर ऐसा करता है, वह खुला काफिर माना जाएगा।  

  - उसे तौबा करनी चाहिए फिर से कलिमा पढ़ना चाहिए और अगर निकाह हो चुका है तो दोबारा निकाह करना चाहिए।  

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भूलकर गिरने का हुक्म  

अगर धोखे से, भूल चूक में कुरान-ए-करीम हाथ से छूट जाए या अलमारी वगैरह से गिर जाए, तो

इस्लाम क्या कहता है?

  - इस पर कोई गुनाह नहीं है।  

  - भूल-चूक माफ है।  


 खैरात करना बेहतर है  

भूलकर कुरान गिर जाने के बाद, अगर खैरात करें तो यह अच्छी बात है।  

सदका और खैरात का महत्व:

  - खैरात राह-ए-खुदा में खर्च करने से सवाब मिलेगा।  

  - लेकिन यह जरूरी नहीं है।  

  - खैरात न करने पर कोई गुनाह या अज़ाब नहीं होगा।  


 कुरान के वजन के बराबर खैरात की सच्चाई  

कुछ लोग कुरान-ए-करीम को तोलकर उसके वजन के बराबर खैरात करते हैं और इसे कफ्फारा समझते हैं।  

यह सही नहीं है

- इस्लाम में कुरान के वजन के बराबर खैरात करने का कोई हुक्म नहीं है।  

- कुरान, हदीस, और फिकह की किताबों में ऐसा कोई ज़िक्र नहीं मिलता।  


 खुलासा

- खैरात और सदका एक उम्दा काम है।  

- जो कुछ भी राहे खुदा में खर्च करें, सवाब मिलेगा।  

- अगर न करें तो भी कोई गुनाह नहीं होगा।  



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