इस्लाम में महर के मुद्दे पर गलतफहमी

अस्सलामुअलेकुम मेरे प्यारे दोस्तो इस पोस्ट में आपको ये बताया जाएगा की इस्लाम में महर किया ही और महर को किस तरह अदा करना चाहिए

Islami Me Mahar Ke Mudde Par Galt Pahmi
Islam Me Mahar Ke Mudde Par Galt Pahmi 


इस्लाम में महर के मुद्दे पर गलतफहमी

इस्लाम में महर किया है इसको किस तरह अदा करना चाहिए 

इसे पढ़ने के बाद आपकी सारी गलत फहमी दूर हो जाएगी।

क्या निकाह के बाद महर माफ कराना ज़रूरी है?

काफी लोग यह ख़्याल करते हैं कि शौहर के लिए ज़रूरी है कि निकाह के बाद पहली मुलाकात में अपनी बीवी से पहले महर माफ कराये, फिर उसके जिस्म को हाथ लगाये।

यह एक ग़लत ख़्याल है

इस्लाम में ऐसा कुछ नहीं है। महर माफ कराने की कोई
ज़रूरत नहीं।

महर की अदायगी का सही तरीका

गैर मुअज्जल महर

आजकल जो महर राइज है, उसे 'गैर मुअज्जल' कहते हैं। यह या तो तलाक देने पर या फिर दोनों में से किसी एक की मौत पर देना वाजिब होता है। इससे पहले देना वाजिब नहीं है।

अगर पहले दे दे तो:

    •   यह कोई हर्ज की बात नहीं।

    •   बल्कि निहायत उम्दा बात है।

मुअज्जल महर

अगर महर 'मुअज्जल' हो यानी निकाह के वक़्त नकद देना तय कर लिया गया हो, तो:

       •   बीवी को यह अधिकार है कि वह बिना महर वसूल किये             खुद को शौहर के काबू में न दे।

       •   अगर चाहे, तो बिना महर लिये भी शौहर को यह सब                  करने दे।

माफ कराने का यहाँ भी कोई मतलब नहीं है।

निष्कर्ष

महर देने के लिए होता है, माफ कराने के लिए नहीं। इस्लाम में इसे जबरन माफ कराने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसे समयानुसार और सही तरीके से अदा करना चाहिए।

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